भारतीय संसद के कौन कौन से अंग हैं।
भारतीय संसद, लोकतंत्र का मंदिर, जहाँ देश के नागरिकों की आवाज गूंजती है और राष्ट्र के हितों का निर्धारण होता है। यह सर्वोच्च विधायी निकाय, देश के कानून बनाने और सरकार को दिशा देने के लिए ज़िम्मेदार है।
इस लेख में, हम भारत की संसद के विभिन्न अंगों पर प्रकाश डालेंगे, उनकी भूमिका और कार्यों को समझेंगे। हम यह भी जानेंगे कि कैसे ये अंग मिलकर देश के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं और भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाने में योगदान करते हैं।
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संसद के कौन कौन से अंग हैं। (Which are the parts of Parliament?)
भारतीय संसद भारत की लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण संस्था है। यह कानून बनाने, सरकार पर नियंत्रण रखने और राष्ट्रीय नीतियों का निर्धारण करने के लिए जिम्मेदार है। भारतीय संविधान के अनुसार भारत की संसद के तीन अंग है।
1.राष्ट्रपति (President)
2.लोकसभा (Lok Sabha)
3. राज्यसभा (Rajya Sabha)
भारतीय संसद के तीन अंग है (Indian Parliament has three organs):
1. राष्ट्रपति (President):
राष्ट्रपति भारत का राष्ट्र प्रमुख होता है और संसद का एक महत्वपूर्ण अंग होता है। राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों द्वारा चुना जाता है और उसका कार्यकाल पांच साल का होता है। राष्ट्रपति के पास कई महत्वपूर्ण शक्तियां होती हैं, जिनमें विधेयकों को मंजूरी देना या अस्वीकार करना, मंत्रिमंडल की नियुक्ति करना और न्यायाधीशों सहित अन्य महत्वपूर्ण अधिकारियों की नियुक्ति करना शामिल है।
- भारत के राष्ट्रपति, संसद के अध्यक्ष होते हैं।
- वे संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्य सभा) को बुलाते हैं, सत्रावसान करते हैं और लोकसभा को भंग कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों को मंजूरी देना या अस्वीकार करना ज़रूरी होता है।
2. लोकसभा (Lok Sabha):
लोकसभा भारत की संसद का निचला सदन है। लोकसभा के सदस्यों को सीधे जनता द्वारा चुना जाता है और उनका कार्यकाल पांच साल का होता है। लोकसभा में वर्तमान में 543 सदस्य हैं। लोकसभा का मुख्य कार्य कानून बनाना और सरकार पर नियंत्रण रखना है।
- लोकसभा, भारत की जनता का प्रतिनिधित्व करने वाला सदन है।
- इसके सदस्यों का चुनाव सीधे तौर पर जनता द्वारा 5 साल के लिए होता है।
- लोकसभा, विधेयक पेश करती है, बजट पास करती है और सरकार पर नियंत्रण रखती है।
3. राज्य सभा (Rajya Sabha) :
राज्य सभा भारत की संसद का ऊपरी सदन है। राज्य सभा के सदस्यों को राज्य विधानसभाओं और केंद्र शासित प्रदेशों विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा चुना जाता है। राज्य सभा के सदस्यों का कार्यकाल छह साल का होता है, जिसमें हर दो साल में एक तिहाई सदस्य चुने जाते हैं। राज्य सभा में वर्तमान में 245 सदस्य हैं। राज्य सभा का मुख्य कार्य विधेयकों की समीक्षा करना और उनमें संशोधन करना है।
- राज्य सभा, भारत के राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाला सदन है।
- इसके सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभाओं द्वारा 6 साल के लिए होता है।
- राज्य सभा, विधेयकों पर विचार-विमर्श करती है, उनमें संशोधन प्रस्तुत कर सकती है और उन्हें अस्वीकार कर सकती है।
हांलाकि राष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है। और न ही वह संसद में बैठता है। लेकिन राष्ट्रपति, संसद का अभिन्न अंग है। ऐसा इसलिए है क्योंकि संसद के दोनों सदनो द्वारा पारित कोई विधेयक तब तक अधिनियम नहीं बन सकता जब तक राष्ट्रपति उसे अपनी स्वीकृति नहीं दे देता। राष्ट्रपति संसद के कुछ अन्य अन्य कार्य भी करता है।
राष्ट्रपति दोनों सदनों का सत्र आहूत करता है। या सत्रावसान करता है लोकसभा को विघटित कर सकता है। जब संसद का सत्र न चल रहा हो, वह अध्यादेश जारी कर सकता है। या दोनों सदनों के संयुक्त बैठक की व्यवस्था कर सकता है।
1954 में ‘राज्य परिषद, एवं जनता का सदन के स्थान पर क्रमश: राज्यसभा एवं लोकसभा शब्द को अपनाया गया, राज्यसभा संसद का उच्च सदन कहलाता है। जबकि लोकसभा निचला सदन कहलाता है। राज्यसभा में राज्य व संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व करती है। लोकसभा के लिए प्रत्यक्ष चुनाव होते हैं। जबकि राज्यसभा के लिए अप्रत्यक्षा।
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प्रत्येक अंग की भूमिका:
- राष्ट्रपति: संसद का प्रमुख, विधेयकों को मंजूरी देना/अस्वीकार करना
- लोकसभा: जनता का प्रतिनिधित्व करने वाला सदन, विधेयक पेश करना, बजट पास करना
- राज्य सभा: राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाला सदन, विधेयकों पर विचार-विमर्श करना
संसद के मुख्य कार्य (Main functions of Parliament:):
1. कानून बनाना (Making Laws:):
यह संसद का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। संसद विभिन्न विषयों पर कानून बनाकर देश का कानूनी ढांचा तैयार करती है। इन कानूनों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, अर्थव्यवस्था, अपराध, कर आदि जैसे विषय शामिल हो सकते हैं।
2. बजट पास करना (passing the budget):
सरकार द्वारा हर साल प्रस्तुत बजट पर संसद बहस करती है और उस पर अपनी मंजूरी देती है। बजट में सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए आवंटित धनराशि का विवरण होता है।
3. सरकार पर नियंत्रण रखना (control the government):
संसद सरकार पर कई तरह से नियंत्रण रखती है।
- प्रश्नों के माध्यम से: संसद सदस्य सरकार के मंत्रियों से विभिन्न विषयों पर प्रश्न पूछ सकते हैं। इन प्रश्नों के माध्यम से सदस्य सरकार की नीतियों और कार्यों की जवाबदेही तय करते हैं।
- बहस के माध्यम से: संसद में विभिन्न मुद्दों पर बहस होती है। इस बहस के माध्यम से सदस्य सरकार की नीतियों की समीक्षा करते हैं और उनमें सुधार के लिए सुझाव देते हैं।
- अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से: अगर संसद को लगता है कि सरकार अपना काम ठीक से नहीं कर रही है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव पारित करके सरकार को हटा सकती है।
4. राष्ट्रीय हितों पर बहस करना (debate national interests):
संसद विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बहस करती है और उन पर अपनी राय देती है। यह सरकार को महत्वपूर्ण मुद्दों पर जनता की राय जानने में मदद करता है।
संसद के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा दर्शाया जा सकता है:
- लोकतंत्र का प्रतीक: यह नागरिकों की आवाज को दर्शाता है और लोकतंत्र के मूल्यों को मजबूत करता है।
- कानूनों का स्रोत: यह देश के लिए कानून बनाता है जो नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करते हैं।
- सरकार पर नियंत्रण: यह सरकार के कार्यों पर नज़र रखता है और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
- राष्ट्रीय मंच: यह राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर बहस और विचार-विमर्श का मंच प्रदान करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध: यह अंतर्राष्ट्रीय संधियों और समझौतों को मंजूरी देता है और भारत की विदेश नीति को shape करने में योगदान देता है।
निष्कर्ष:
भारतीय संसद, एक शक्तिशाली और महत्वपूर्ण संस्था है जो भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाने और देश के नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
यह लेख आपको:
- भारत की संसद के महत्व को समझने में मदद करेगा।
- लोकतंत्र में संसद की भूमिका को स्पष्ट करेगा।
- भारत के भविष्य को shape करने में संसद के योगदान को उजागर करेगा।