अपकृत्य एवं अपराध में क्या अन्तर है स्पष्ट कीजिए। (What is the difference between Tort and crime?)

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भारतीय संविधान के अंतर्गत वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता | Freedom of speech and expression under the Indian Constitution

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प्रतिषेध रिट व उत्प्रेषण रिट में अंतर स्पष्ट कीजिए। (Difference between prohibition writ and certiorari writ)

प्रतिषेध रिट बनाम उत्प्रेषण रिट में अंतर समझें।

यह पोस्ट प्रतिषेध रिट और उत्प्रेषण रिट के बीच के अंतर को समझने में आपकी मदद करेगा। दोनों ही रिट उच्च न्यायालय द्वारा जारी किए जाते हैं, लेकिन उनके उपयोग और उद्देश्य भिन्न होते हैं।

Difference between prohibition writ and certiorari writ

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत, नागरिकों को छह मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं, जिनमें संवैधानिक उपचारों का अधिकार भी शामिल है। इस अधिकार के तहत, नागरिक उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर सकते हैं, जब उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।

प्रतिषेध रिट और उत्प्रेषण रिट दो महत्वपूर्ण रिट हैं, जिनका उपयोग अक्सर न्यायिक प्रक्रिया में त्रुटियों को ठीक करने और मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए किया जाता है।

रिट की परिभाषा:

प्रतिषेध रिट: यह किसी निचली अदालत या प्राधिकारी को किसी कार्य को करने से रोकने के लिए जारी किया जाता है।

उत्प्रेषण रिट: यह किसी निचली अदालत या प्राधिकारी से किसी मामले की कार्यवाही को अपने हाथ में लेने के लिए जारी किया जाता है।

प्रतिषेध रिट व उत्प्रेषण रिट में अंतर (Difference between prohibition writ and certiorari writ):-

S No.प्रतिषेध रिट Prohibitionउत्प्रेषण Cortavorari
1.इसका मतलब होता है ‘रोकन’इसका मत‌लब होता है प्रमाणित होना या सूचना देना,
2.यह वरिष्ट न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालय या अधिकरणी के लिए ही। जारी किया जाता है।इस रिट को भी उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालय के लिए ही जारी करता है।
3.इस रिट से अधीनस्थ न्यायालय को अपने क्षेत्राधिकार से उच्च कार्यों को करने से रोकने के लिए जारी किया जाता है।यह रिट उच्च न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालय कुछ केस को अपने पार मंगा कर उन पर सुनवाई कर सकता है अंतः यह सहायक प्रवृति की भी है।
4.इस रिट को वरिष्ट न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालय में चल रही सुनवाई को बीच मे ही रोकने के लिए जारी किया जाता है।यह रिट किसी सुनवाई के पूरा होने पर ही जारी की जा सकती है बीच में नहीं
5.यह रिट न्यायिक एवं अर्धन्यायिक प्रधिकरणों के खिलाफ ही जारी किया जा सकता हैइसको अधीनस्थ न्यायालय एवं अधिकरणो के साथ-साथ 1991 से SC के आदेश पर प्रशासनिक प्राधिकरणों के खिलाफ भी जारी किया जा सकता है।
6.यह प्रशासनिक व विधायी निकायो तथा निजी व्यक्तियो को उपलब्ध नही हैप्रतिषेध की तरह उत्प्रेषण भी निजी सुनवाई और विधिक निकायों के विरुद्ध उपलब्ध नहीं है।

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