संसदीय विशेषाधिकार से आप क्या समझते हैं।
संसदीय विशेषाधिकार वे विशेष अधिकार और उन्मुक्तियां हैं जो भारत की संसद, उसके सदस्यों और उसकी समितियों को प्रदान किए जाते हैं। ये अधिकार संसद को अपना कार्य सुचारू रूप से करने और लोकतंत्र को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
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संसदीय विशेषाधिकार के प्रकार (Types of parliamentary privilege):
संसदीय विशेषाधिकारों को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
1. सदस्यों के विशेषाधिकार:
- वाक् स्वतंत्रता: सदस्य संसद में बिना किसी डर या खतरे के अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र हैं।
- गिरफ्तारी से छूट: सदस्यों को संसद सत्र के दौरान या उससे 40 दिन पहले और बाद में, किसी आपराधिक मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
- न्यायालयों से उन्मुक्ति: सदस्यों को संसद में कही या लिखी किसी बात के लिए किसी न्यायालय में जवाबदेह नहीं होना पड़ता है।
- संसदीय कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार: सभी सदस्यों को संसद की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है।
- भत्ता और वेतन: सदस्यों को वेतन, भत्ता और पेंशन सहित विभिन्न सुविधाएं प्राप्त होती हैं।
2. सदन के विशेषाधिकार:
- कार्रवाई का अधिकार: सदन अपनी कार्यवाही को नियंत्रित करने और सदस्यों को दंडित करने का अधिकार रखता है।
- विषयों पर बहस करने का अधिकार: सदन किसी भी विषय पर बहस कर सकता है।
- सांख्यिकीय जानकारी प्राप्त करने का अधिकार: सदन सरकार से सांख्यिकीय जानकारी प्राप्त कर सकता है।
- सरकारी अधिकारियों को बुलाने का अधिकार: सदन सरकारी अधिकारियों को बुलाकर उनसे सवाल पूछ सकता है।
- विशेष समितियां बनाने का अधिकार: सदन किसी भी विषय पर जांच करने के लिए विशेष समितियां बना सकता है।
3. संसद के दोनों सदनों के विशेषाधिकार:
- संसदीय परिसर की रक्षा: सदन के दोनों सदनों को संसदीय परिसर की रक्षा करने का अधिकार है।
- संसदीय प्रक्रियाओं का निर्धारण: सदन के दोनों सदन मिलकर संसदीय प्रक्रियाओं का निर्धारण करते हैं।
- संसदीय अधिकारियों की नियुक्ति: सदन के दोनों सदन मिलकर संसदीय अधिकारियों की नियुक्ति करते हैं।
- महाभियोग लगाने का अधिकार: सदन के दोनों सदन मिलकर राष्ट्रपति या न्यायाधीशों पर महाभियोग लगा सकते हैं।
- संविधान संशोधन करने का अधिकार: सदन के दोनों सदन मिलकर संविधान में संशोधन कर सकते हैं।
संसदीय विशेषाधिकार मुलत: ऐसे विशेषाधिकार होते हैं। जो संसद के प्रत्येक सदन को सामूहिक तौर पर मिले होते हैं। और साथ ही सदन के सभी सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से भी मिले होते हैं। संविधान में इनका जिक्र अनुच्छेद 105 और और अनुच्छेद 194 में किया गया है। अनुच्छेद 105 में संसदीय विशेषाधिकार की बात की गई है। जबकि अनुच्छेद 194 में राज्य विधान मण्डल से जुड़े विशेषाधिकारी का जिक्र किया गया है।
इन विशेषाधिकारों का उद्देश्य है संसद के सदनो, समितियों और सदस्यो द्वारा अपना काम बिना किसी भय और प्रभाव, से निर्बाध तरीके से कर पाए। इस तरह संसदीय विशेषाधिकार का मूल भाव संसद की गरिमा, स्वतंत्रता और स्वायत्ता की सुरक्षा करना है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि संसद के सदस्यों को यह विशेषाधिकार इसलिए मिले हैं, क्योंकि वे सदन के सदस्य है। यानी एक नागरिक के तौर पर उन्हें कोई विशेषाधिकार नहीं मिला है।
साल 1966 के के. आनंदन नांबियार बनाम मुख्य सचिव मद्रास सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि अगर किसी व्यक्ति को वैध नजरबंदी के तहत हिरासत में लिया गया हो तो वह संसदीय विशेषाधिकार का दावा नहीं कर सकता था, क्योकि यह मामला दीवानी मामले में नहीं आता है इसका मतलब यह हुआ कि एक नागरिक के तौर पर कुछ गलत करने पर संसद सदस्यो के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है।
संसदीय विशेषाधिकार का महत्व (Importance of parliamentary privilege):
- लोकतंत्र को मजबूत बनाना (strengthening democracy): यह नागरिकों को अपनी सरकार पर नजर रखने और उन्हें जवाबदेह ठहराने की शक्ति प्रदान करता है।
- कानून का शासन (The rule of law): यह सुनिश्चित करता है कि कानून सभी के लिए समान रूप से लागू होते हैं, चाहे वे कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of expression): यह सदस्यों को अपनी राय स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की अनुमति देता है, भले ही वह विवादास्पद हो।
- सरकार की जवाबदेही (Government accountability): यह सरकार को अपने कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराता है और सुनिश्चित करता है कि वह जनहित में कार्य करे।
- संसदीय विशेषाधिकार: लोकतंत्र की रक्षा में ढाल
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संसदीय विशेषाधिकार लोकतंत्र के लिए केवल विशेषाधिकार नहीं, बल्कि उसकी रक्षा करने वाली ढाल हैं। ये अधिकार संसद को शक्तिशाली बनाते हैं, नागरिकों को सशक्त बनाते हैं, और सरकार को जवाबदेह ठहराते हैं।संसदीय विशेषाधिकारों के महत्व को समझना और उनका सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
कुछ महत्वपूर्ण बाते :
- संसदीय विशेषाधिकारों के दुरुपयोग से बचने के लिए सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
- संसद और नागरिकों के बीच बेहतर संवाद और सहयोग इन अधिकारों को मजबूत बनाने में मदद कर सकता है।
- लोकतंत्र के भविष्य के लिए युवा पीढ़ी को संसदीय विशेषाधिकारों के महत्व के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है।
- उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लेख को समृद्ध बनाने में सहायक होगी।
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