संसदीय विशेषाधिकारी का वर्णन कीजिए ?
संसदीय विशेषाधिकार उन विशेष अधिकारों और अवसरों का समूह है जो संसद, उसके सदस्यों और उसके अधिकारियों को अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से निष्पादित करने के लिए प्रदान किए जाते हैं। ये विशेषाधिकार संसद की स्वतंत्रता, गरिमा और निर्बाध कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं।
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संसदीय प्रमुख विशेषाधिकार (parliamentary chief privilege):
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: सदस्य सदन में बिना किसी डर या भय के अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं।
- विशेषाधिकार का उल्लंघन: सदस्य, अधिकारी या कर्मचारियों के खिलाफ अपमानजनक या अवमाननाजनक व्यवहार विशेषाधिकार का उल्लंघन माना जाता है।
- गवाह बुलाने का अधिकार: सदन या उसकी समितियां किसी भी व्यक्ति को गवाही देने के लिए बुला सकती हैं।
- दस्तावेजों का निरीक्षण: सदन या उसकी समितियां किसी भी सार्वजनिक दस्तावेज का निरीक्षण कर सकती हैं।
- सुरक्षा: सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों को सदन परिसर में सुरक्षा प्रदान की जाती है।
संसदीय विशेषाधिकारी को यो व्यापक वर्गो में बाँटा जा सकता है व्यक्तिगत अधिकार और सामूहिक अधिकार “
सदस्यों द्वारा व्यक्तिगत रूप से प्रयोग किये जाने वाले अधिकार (Rights exercisable by members individually) :-
संसद् तथा राज्य विधानमण्डलो के सदस्यों को निम्न विशेषाधिकार है।
(1) भाषण की स्वतंत्रता (Freedom of speech):
संसद या राज्य विधानमंडलो के सदस्यो को सम्बन्धित सदन तथा समितियों में भाषण करने की पूर्ण स्वतंत्रता हैं। और ऐसे भाषण के लिए उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती, लेकिन सदस्य सदन में ऊंचतम न्यायालय या उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के विरुद्ध तब तक कोई टिप्पणी नहीं कर सकता, जब तक उनके विरुद्ध महाभियोग के प्रस्ताव पर विचार विमर्श हो रहा हो।
( 2) साझी के रूप में उपस्थिति से छुट (Exemption from appearing as a witness):
संसद या राज्य विचानमण्डल के अधिवेशन के दौरान सदस्य को सम्बन्धित सदन के अध्यक्ष या सभापति की अनुमति के बिना किसी न्यायालय के समक्ष साक्षी के रूप में उपस्थित होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
(3) गिरफ्तारी से छूट (Exemption from arrest):-
संसद् या राज्य विधानमण्डलो के सदस्यों को संसद या राज्य विधानमण्डल के अधिवेशन के दौरान तथा अधिवेशन के 40 दिन पहले या बाद की अवधि के दौरान गिरफ्तारी से छूट प्राप्त है लेकिन यह छूट केवल सिविल मामलो में प्राप्त है न कि अपराधिक मामलों में। सदस्यों की गिरफ्तारी के पूर्व सम्बन्धित सदन के अध्यक्ष या सभापति को सूचना दी जाती है।
सदस्यों का सामूहिक अधिकार (collective rights of members) :
संसद या राज्य विधानमण्डलों को निम्नलिखित विशेषाधिकार प्राप्त है, जिसका प्रयोग सामूहिक रूप से या सदन द्वारा किया जा सकता है।
* सदन की कार्यवाहियों को प्रकाशित करने तथा अन्य को प्रकाशित करने से रोकने का अधिकार
* जो व्यक्ति सदन का सदस्य न हो, उसे सदन से निकालने का अधिकार
* संबंधित सदन के अध्यक्ष की आज्ञा के बिना सदन के परिसर में गिरफ्तारी तथा किसी कानूनी आदेशिका की तामिली को रोकने का अधिकार.
* सदन की किसी गोपनीय बैठक की कार्यवाहियों तथा निर्णयों को प्रकट करने पर रोक संबंधी अधिकार,
* सदन के आंतरिक मामलों को विनियमित करने तथा तथा सदन के भीतर उत्पन्न होने वाले मामलो को निपटाने का अधिकार
* साक्षियों को उपस्थित होने के लिए बाध्य करने तथा पत्र एवं दस्तावेज, मांगने का अधिकार,
* किसी संसदीय समिति के समझ दिये गये साक्ष्य और उसके प्रतिवेदन और कार्यपाहियों को तब तक प्रकाशित करने से रोकने का अधिकार जब तक उन्हें सम्बद्ध सदन के पटल पर नही रख दिया जाता
* सदन की कार्यवाही को न्यायालय द्वारा जाँच किये जाने से रोकने का अधिकार,
* किसी सदस्य की गिरफ्तारी नजरबंदी, दोषसिद्धि, कारावास तथा रिहाई के सम्बंध में सुचना प्राप्त करने का अधिकार।
संसदीय विशेषाधिकार क्या है? Parliamentary privilege
इस लेख में, हमने संसदीय विशेषाधिकारों की अवधारणा, उनके महत्व और कुछ प्रमुख उदाहरणों पर प्रकाश डाला है।
संसदीय विशेषाधिकार लोकतंत्र के सुचारू कार्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे सदस्यों को अपनी राय स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने, नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने और सरकार को जवाबदेह ठहराने में सक्षम बनाते हैं। इन विशेषाधिकारों के दुरुपयोग से बचना और सदन की गरिमा बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। अंत में, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि संसदीय विशेषाधिकार सदस्यों के विशेषाधिकार नहीं, बल्कि लोकतंत्र के हित में प्रदान किए गए अधिकार हैं।