संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 की धारा 111 किसी भी पट्टे के समाप्त होने के आधारों का वर्णन करती है। किसी भी पट्टे का समापन (पर्यवसान) इन आधारों पर होता है। धारा 111 संपत्ति अंतरण अधिनियम की महत्वपूर्ण धाराओं में से एक धारा है इस धारा के अंतर्गत कुल 8 प्रकार के आधार प्रस्तुत किए गए हैं जो किसी पट्टे को समाप्त करने हेतु प्रस्तुत किए गए है। पर जहां रेंट कंट्रोल अधिनियम लागू होता है वहां इस धारा के प्रावधान लागू नहीं होते परंतु फिर भी इस धारा का अत्यधिक महत्व है तथा न्यायालय पट्टे के समापन (पर्यवसान) के समय इन आधारों पर भी जांच कर सकता है।
धारा 111 में कुल आठ प्रकारों का उल्लेख किया गया है जिनमें से किसी एक द्वारा पट्टे का समापन (पर्यवसान) हो सकेगा।
- समय की समाप्ति से। (धारा 111 (A))
- विनिर्दिष्ट घटना के घटने से। (धारा 111 (B))
- पट्टाकर्ता के हित की समाप्ति से। (धारा 111 (C))
- विलयन से। (धारा 111 (D))
- अभिव्यक्त समर्पण से। (धारा 111 (E))
- विवक्षित समर्पण से। (धारा 111 (F))
- जब्ती से। (धारा 111 (G))
- छोड़ने की सूचना से। (धारा 111 (H))
(1) समय की समाप्ति से (धारा 111 (A))
अचल सम्पत्ति के पट्टों में समय या कालावधि का महत्वपूर्ण स्थान है। इसके अनुसार ही पट्टे को अवधि, विस्तार, प्रारम्भ को तिथि एवं परिसम्पत्ति की तिथि इत्यादि का निश्चय होता है। यदि पट्टा विलेख में पट्टा की अवधि का विवरण स्पष्ट नहीं है तो उसका निर्धारण पक्षकारों की संविदा के आधार पर होगा, निर्धारित अवधि के लिए किया गया पट्टा अवधि की समाप्ति के साथ ही साथ समाप्त हो जाता है जब तक कि उनका नवीकरण न हो जाए।
(2) विनिर्दिष्ट घटना के घटने से – [धारा 111 (B)]–
पट्टे के पक्षकारों के पास यह विकल्प है कि यदि वे चाहें तो पट्टा का अनुबन्धन किसी घटना के घटित होने की शर्त पर आश्रित कर सकते हैं। यदि उल्लिखित घटना घटित हो जाती है तो पट्टे का समापन हो जाएगा। उदाहरणार्थ क अपनी सम्पत्ति का पट्टा ख को इस शर्त पर करता है कि यदि वह ग से विवाह नहीं करेगा तो पट्टे का समापन हो जाएगा। ख, घ से विवाह कर लेता है। ख के पक्ष में सृजित पट्टा समाप्त हो जाएगा इस खण्ड के अन्तर्गत पट्टे का संव्यवहार किसी भावी घटना पर आधारित रहता है और जैसे ही वह घटना घटित होती है पट्टा का समापन हो जाता है।
(3) पट्टाकर्ता के हित या शक्ति की समाप्ति से [धारा 111 (C)]—
किसी घटना से घटित होने पर यदि पट्टा सम्पति से पट्टाकर्ता के हित का समापन होता है या इससे निपटाने की शक्ति केवल किसी घटना के घटित होने तक ही विस्तारित होती है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि यदि पट्टाकर्ता का पट्टा सम्पत्ति में हित सीमित है तो पट्टाकर्ता के हित के समाप्त होने पर पट्टा का समापन हो जाएगा।
(4) विलय [धारा 111 (D)] –
इस धारा के अनुसार, यदि संपूर्ण संपत्ति में पट्टादाता और पट्टेदार के हित एक ही समय में एक ही अधिकार के रूप में एक ही व्यक्ति में निहित हो जाते हैं, तो पट्टा समाप्त हो जाता है।
(5) अभिव्यक्त अभ्यर्पण (एक्सप्रेस सरेंडर) [धारा 111 (E)] –
एक्सप्रेस सरेंडर द्वारा, अर्थात उस स्थिति में जब पट्टेदार आपसी सहमति से पट्टे के तहत अपना हित पट्टाकर्ता को छोड़ देता है, तो पट्टा समाप्त हो जाता है। एक वैध और बाध्यकारी आत्मसमर्पण पट्टे के लिए यह हमेशा आवश्यक नहीं होता है कि पट्टेदार पट्टे वाली संपत्ति का कब्ज़ा पट्टेकर्ता को सौंप दे।
(6) जबरन समर्पण द्वारा [धारा 111(F)] –
यदि संपत्ति में पट्टेदार का पट्टा हित कानून के प्रवर्तन द्वारा समाप्त कर दिया जाता है और संपत्ति पट्टेदार से वापस ले ली जाती है, तो यह स्थिति जबरन समर्पण की सूचक होगी। कानून के लागू होने से, एक नया पट्टा बनाया जा सकता है और पट्टेदार को पट्टे पर दी गई संपत्ति में अपना पट्टा पट्टादाता को वापस करना होगा। भले ही पट्टादाता उसी किरायेदार के पक्ष में नया पट्टा बनाता है, तो पिछला पट्टा भी सरेंडर किया हुआ माना जाएगा।
(7 ) समपहरण द्वारा [ धारा 111 (G) ] –
यह खण्ड उपवन्धित करता है कि – समपहरण द्वारा अत्यंत वृहद आधार है। इस आधार पर पट्टे का समापन इस धारा का अत्यंत महत्वपूर्ण आधार है। इससे संबंधित विषय महत्वपूर्ण और बड़ा है इसलिए इस खंड पर विस्तार से व्याख्या इससे ठीक अगले आलेख भाग 41 में प्रस्तुत की गई है।
(9) छोड़ देने की सूचना द्वारा [ धारा 111 (H) ] –
इस खंड के अनुसार एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष को पट्टे पर दी गई संपत्ति को त्यागने या त्यागने के इरादे से दिए गए नोटिस के आधार पर पट्टे को समाप्त किया जा सकता है। पट्टे की समाप्ति करने का यह सबसे अच्छा तरीका है।