भारतीय संविधान के अन्तर्गत राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया। Presidential impeachment process

भारतीय संविधान के अन्तर्गत राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए ?

भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण पहलू में से एक में राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया का विवरण दिया गया है। यह प्रक्रिया एक प्रमुख निर्णय है जिसमें देश की सर्वोच्च गणराज्यतात्मक पद के उपयुक्त उम्मीदवार को इस पद से हटाने की संभावना होती है। इस आरंभिक चरण में, हम इस प्रक्रिया के विविध पहलुओं को समझेंगे, जिसमें संविधान द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार राष्ट्रपति को महाभियोग का आयोजन करने की विधि व्यक्त की गई है।

presidential impeachment process

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भारतीय संविधान के अनुच्छेद -61 के अनुसार राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव तब चलाया जा सकता जब वह संविधान का उल्लंघन करता है। इस प्रकार राष्ट्रपति के द्वारा  संविधान का अतिक्रमण किए जाने पर उसके विरुद्ध महाभियोग चलाया जा सकता है राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया का विवरण अनुच्छेद 61 में किया गया है।

राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है। और इसके साथ ही साथ इसके पास ऐसी बहुत सी शक्तियां भी होती है। जो की संविधान के अनुसार एक राष्ट्रपति को मिलती हैं। राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग संसद द्वारा चलाई जाने वाली एक अर्द्ध-न्यायिक प्रक्रिया है। जो राष्ट्रपति को पद से हटाने या मुक्त करने के लिए अपनाई जाती हैं  इस प्रकिया को राष्ट्रपति का महाभियोग कहा जाता है। भारत में किसी भी राष्ट्रपति का महाभियोग नहीं किया गया है। अनुच्छेद 61 के तहत राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन मिलता है।

अनुच्छेद 61 के तहत राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया (Procedure for impeachment of the President under Article 61)-

  1. राष्ट्रपति पर महाभियोग का प्रस्ताव 
  2. स्वयं पर महाभियोग कि राष्ट्रपति को सुचना
  3. सदन के सदस्यों के हस्ताक्षर 
  4. महाभियोग की जांच
  5. महाभियोग का स्पष्टीकरण

१. राष्ट्रपति पर महाभियोग का प्रस्ताव (Motion to impeach the president) :-

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 के तहत, राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। राष्ट्रपति पर महाभियोग का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन लोक सभा और राज्य सभा में प्रस्तुत किया जा सकता है।

२. स्वयं पर महाभियोग कि राष्ट्रपति को सुचना (Notice to the President of self impeachment):-

यदि राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति राष्ट्रपति को सूचित करते हैं। स्वयं पर महाभियोग प्रस्तुत होने की सूचना राष्ट्रपति को 14 दिन पहले ही होनी चाहिए।

 ३. सदन के सदस्यों के हस्ताक्षर (Signatures of House Members):

राष्ट्रपति के महाभियोग के प्रस्ताव पर उस  सदन के कम से कम एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए जहां पर इसे प्रस्तुत किया गया हो।

  • लोकसभा: लोकसभा के कम से कम 1/10 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जा सकता है।
  • राज्यसभा: राज्यसभा के कम से कम 1/4 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित महाभियोग प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। 

४. महाभियोग की जांच (impeachment inquiry) :-

यदि प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है, तो राष्ट्रपति के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए 15 सदस्यों की एक समिति का गठन किया जाता है। समिति को राष्ट्रपति से पूछताछ करने और साक्ष्य इकट्ठा करने का अधिकार है। समिति अपनी रिपोर्ट संसद को प्रस्तुत करती है। राष्ट्रपति महाभियोग कि प्रथम जांच के बाद महाभियोग के प्रस्ताव को दूसरे सदन में भेज दिया जाता है।

५. महाभियोग का स्पष्टीकरण (Explanation of impeachment) :-

दुसरे सदन में प्रस्ताव आने के बाद राष्ट्रपति स्वयं या अपने किसी प्रतिनिधि के माध्यम से स्पष्टीकरण करने का अधिकार रखता है। रिपोर्ट पर विचार करने के बाद, प्रत्येक सदन राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए मतदान करता है। दोनों सदनो में यदि महाभियोग के प्रस्ताव को समस्त सदस्यों में से कम से कम दो तिहाई बहुमत स्वीकार कर लेता है तो ही राष्ट्रपति को पद मुक्त समझा जाता है।

यह एक गंभीर प्रक्रिया है जिसका उपयोग केवल तभी किया जाता है जब राष्ट्रपति पर गंभीर आरोप लगाए जाते हैं। इस लेख में, हमने भारतीय संविधान के महाभियोग की प्रक्रिया के महत्वपूर्ण पहलुओं का विस्तारपूर्वक विश्लेषण किया है। राष्ट्रपति के महाभियोग का अध्ययन हमें यह सिखाता है कि लोकतंत्र में विभिन्न संवैधानिक और सामाजिक प्रक्रियाओं का महत्व क्या होता है।

यह प्रक्रिया न केवल शासन के उच्चतम पद पर विश्वास की साक्षी है, बल्कि यह भी लोकतंत्र के सुरक्षा और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मेकेनिज्म है। इसके माध्यम से, नागरिकों को आत्म-संज्ञान और संविधानिक मूल्यों के प्रति सजग रहने का अवसर प्राप्त होता है। आखिरकार, इस प्रक्रिया के माध्यम से भारतीय संविधान ने राष्ट्रपति के पद को निर्धारित कर लिया है, जो एक सुरक्षित, संविधानिक और लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रणाली की अविवेकी धारा को दिखाता है।

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